लखनऊ। समाजवादी पार्टी पर अभी तक यही आरोप लगता रहा है कि य़ह यादव-मुसलमानों की पार्टी है। समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने यादव-मुस्लिम टैग से बाहर निकलकर पीडीए(पिछड़ा-दलित-
अल्पसंख्यक) समीकरण को आगे बढ़ाए। पीडीए फ़ार्मूला पर जब सवर्ण नेताओं कि कानाफूसी शुरू हुई कि इसमें अगड़े कहाँ है,इस तरह की टिप्पणी का काउंटर करते हुए समाजवादी पार्टी पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष चौ.लौटन राम निषाद आगे आकर साफ किया कि पीडीए में “ए” का मतलब अल्पसंख्यक,आदिवासी,
आधी आबादी और राजनारायण, जनेश्वर मिश्रा, ब्रजभूषण तिवारी,रमाशंकर कौशिक,
भगवती सिंह ,कपिलदेव सिंह की विचारधारा पर चलकर पिछड़ों, दलितों, वंचितों,किसान-मजदूरों के मान सम्मान, गैर बराबरी की लड़ाई लड़ने वाले अगड़े भी पीडीए के अभिन्न अंग हैं।
जो जातिवादी होता है वह समाजवादी और जो समाजवादी होता है वह जातिवादी नहीं हो सकता। समाजवादी पार्टी ने मिशन-2024 में संविधान और लोकतंत्र बचाने के मुद्दे पर मुखर होकर अपनी आवाज को तेज किया,उसी का परिणाम रहा कि प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के सारे दावे हवा में उड़ गए और समाजवादी पार्टी पीडीए फ़ार्मूला के अनुसार बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए उत्तर प्रदेश की पहली और देश की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभर कर आयी है। भाजपा और उसके सहयोगी दलों के नेता बड़े बड़े दावे कर रहे थे कि 80 में 80 या 80 में 77-78,उनको पीडीए फ़ार्मूला के आगे घुटने टेकने पड़ गए और इस समय तो उनकी बोलती ही बंद हो गयी है।
समाजवादी पार्टी ने पीडीए को धरातल पर उतारते हुए टिकट वितरण में जातिगत समीकरण को बेहतर तरीके से साधने का प्रयास किया,लेकिन ब्राह्मण कार्ड लगभग पूरी तरह फेल हो गया। टिकट वितरण में डुमरियागंज,
बागपत,बलिया, कैसरगंज के साथ भदोही से ब्राह्मण को उम्मीदवार बनाया, पर ब्राह्मण कार्ड सफल नहीं हो पाया, एकमात्र बलिया से सनातन पांडेय को ही सफ़लता मिल पायी। सोशल मीडिया पर य़ह चर्चा का विषय बना हुआ है कि-मथुरा न काशी, अयोध्या में अबकी अवधेश पासी। भाजपा-संघ की कार्यशाला अयोध्या संसदीय सीट सहित मण्डल की सुल्तानपुर,
अम्बेडकर नगर सपा और बाराबंकी, अमेठी से काँग्रेस उम्मीदवारों को जीत मिली है।इंडिया गठबंधन की चर्चित अयोध्या सहित मण्डल की सभी सीटों पर अप्रत्याशित रूप से जीत पर अयोध्या और राम के मुद्दे पर प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाये गये लौटन राम निषाद ने टिप्पणी करते हुए कहा है कि भाजपा बताए- राम काल्पनिक हैं या भाजपा राम के कोपभाजन का शिकार हो गयी है।यही नहीं काशी को छोडकर मण्डल की अन्य 4 लोकसभा क्षेत्रों-गाजीपुर,चंदौली, जौनपुर, मछली शहर और प्रयाग राज मण्डल की फूलपुर सीट को प्रशासनिक मदद से जीतने के बाद मण्डल की प्रयाग राज, फतेहपुर, प्रतापगढ़, कौशांबी सीट पर इंडिया गठबंधन को सफ़लता मिली है।
समाजवादी पार्टी ने सपा पर यादव-मुस्लिम की पार्टी होने के आरोप को दरकिनार करते हुए सिर्फ 4 मुस्लिम और 5 यादव को उम्मीदवार बनाया और परिणाम शत प्रतिशत पक्ष में आया। सपा ने अपने कोटे की 63 सीटों में से 4 मुस्लिम, 5 यादव के बाद 5-5 निषाद, ब्राह्मण,10 कुर्मी 6- 6 जाटव/चमार, मौर्य/सैनी/कुशवाहा/शाक्य, 7 पासी,4 खत्री, बनिया, 2-2 ठाकुर, जाट,1-1 गूजर, पाल, लोधी,भूमिहार, राजभर,वाल्मीकि,खरवार को अपना उम्मीदवार बनाकर सोशल इंजीनियरिंग को धरातल पर उतारा ,जिसका परिणाम रहा कि भाजपा को मुँह की खानी पड़ी।
10 में से 7 कुर्मी/पटेल प्रत्याशियों-फतेहपुर से नरेश उत्तम पटेल,बस्ती से राम प्रसाद चौधरी
,अंबेडकरनगर से लालजी वर्मा ,
बांदा से कृष्णा पटेल,प्रतापगढ़ से शिवपाल सिंह पटेल,श्रावस्ती से रामशिरोमणि वर्मा,खीरी से उत्कर्ष वर्मा”मधुर “,पासी(सरोज,रावत,
चौधरी) में लालगंज से दारोगा प्रसाद सरोज,अयोध्या से अवधेश प्रसाद पासी,मोहनलालगंज से आर.के. चौधरी,कौशांबी से पुष्पेंद्र सरोज मछलीशहर से कु.प्रिया सरोज एडवोकेट,अहीर(यादव) में
कन्नौज से अखिलेश यादव,
मैनपुरी से डिंपल यादव,आजमगढ़ से धर्मेन्द्र यादव,फिरोजाबाद से अक्षय यादव,बदायूं से आदित्य यादव,मुसलमान में गाजीपुर से अफजाल अंसारी,कैराना से इकरा हसन,संभल से जियाउर्रहमान बर्क,रामपुर से मुहिबुल्ला नदवी,
कोईरी,मौर्या,कुशवाहा,शाक्य में
जौनपुर से बाबूसिंह कुशवाहा,एटा से देवेश शाक्य आंवला से नीरज मौर्य,निषाद में संतकबीरनगर से लक्ष्मीकांत उर्फ पप्पू निषाद,
सुल्तानपुर से रामभुआल निषाद,
ठाकुर में चंदौली से वीरेंद्र सिंह,
धौरहरा से आनंद भदौरिया,
ब्राह्मण में बलिया से सनातन पांडेय,भूमिहार ब्राह्मण में घोसी से राजीव राय,बनिया एवं अन्य में
मुरादाबाद से रुचिवीरा(बनिया),
मुजफ्फरनगर से हरेंद्र मलिक (जाट),इटावा से जितेंद्र कुमार दोहरे(चमार),हमीरपुर से अजेन्द्र सिंह लोधी,जालौन से नारायण अहिरवार(जाटव),सलेमपुर से रमाशंकर राजभर,रॉबर्ट्सगंज से छोटे लाल खरवार को जीत मिली है। समाजवादी पार्टी पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ के पूर्व अध्यक्ष लौटन राम निषाद ने कहा कि ब्राह्मणों को 5 टिकट देना पूरी तरह गलत था। भदोही से चुनाव चिन्ह साइकिल से कोई भी लड़ा होता तो जीत मिली होती। मिर्जापुर और शाहजहांपुर में प्रत्याशी बदलने के कारण हार मिली,वही बांसगाँव,फर्रुखाबाद,अलीगढ़, फूलपुर में प्रशासनिक मदद से और उन्नाव,गोंडा में सपा प्रत्याशियों के अहम व अति विश्वास के कारण हार का सामना करना पड़ा। निषाद ने कहा कि अपना व्यक्तिगत लक्ष्य था-संजय निषाद और ओमप्रकाश राजभर के बेटों को हराकर इनकी सौदेबाजी पर लगाम लगाना, जिसमें हमें पूरी तरह सफ़लता मिली। संत कबीर नगर से संजय निषाद के पुत्र प्रवीण निषाद और घोसी से ओमप्रकाश राजभर के पुत्र अरविन्द राजभर को हार का सामना करना पड़ा है।उन्होंने कहा कि संजय निषाद और ओमप्रकाश को निषाद व राजभर समाज पर दबदबा माना जाता था लेकिन इनके बेटों की बुरी तरह हार से य़ह दावा गलत साबित हो गया है।
निषाद का कहना है कि हमने य़ह साबित करने के लिए कि निषाद समाज का नेता संजय निषाद या लौटन राम निषाद और अतिपिछड़ी जातियों का नेता ओमप्रकाश राजभर या लौटन राम निषाद,इसे लक्ष्य बनाकर हमने पीडीए ज़न चौपाल व पीडीए ज़न पंचायत के साथ संविधान बचाओ लोकतंत्र बचाओ सामाजिक न्याय सम्मेलन आयोजित कर यादव-गैर यादव के बीच की नफ़रत और भाजपा,ओमप्रकाश, संजय निषाद द्वारा यादव जाति को अतिपिछड़ी जातियों का हकमार की बनाई गई छवि को गलत साबित करने के लिए सार्थक पहल किया, जिससे यादव समाज के प्रति अतिपिछड़ी जातियों में घर की नकारात्मकता दूर हुई। मेरा कहना रहा-यादव अतिपिछड़ी जातियों और दलित वर्ग का दुश्मन नहीं, बड़ा भाई हैं; “यादवों से ईर्ष्या नहीं प्रतिस्पर्धा करो और जो पढ़ेगा वही बढ़ेगा”, का नारा सकारात्मक प्रभाव डाला, जिसका परिणाम सामने आया कि समाजवादी पार्टी देश की तीसरी और उत्तर प्रदेश की पहली बड़ी पार्टी के रूप में उभर कर आयी और केशव प्रसाद मौर्य, बृजेश पाठक जैसे लोग जो य़ह कह्ते थे कि सपा समाप्तवादी और नमाज़वादी पार्टी है, को करारा ज़वाब जनता ने दिया है।ओमप्रकाश राजभर बड़बोलेपन की भाषा का प्रयोग कर कहा था कि-“राहुल अखिलेश यादव बच्चा,हम उनके चच्चा”,लेकिन जनता की अदालत में ओमप्रकाश खा गए गच्चा।