कश्यप सन्देश

22 October 2024

ट्रेंडिंग

निषाद बिंद राजवंश के संस्थापक, महायोद्धा विंध्यशक्ति: एक गौरवशाली इतिहास:बाबू बलदेव सिंह गोंड की कलम से
क्या केवल अन्न का उपवास ? मनोज कुमार मछुआरा,प्रमुख, उत्तर प्रदेश,कश्यप संदेश
आदिवासी परंपरा में तेसू और झिंझिया का विवाह: नारायणपुरवा, परौख में अनोखी प्रथा

जैव ईंधन के लिए उत्कृष्टता केंद्र हेतु राष्ट्रीय शर्करा संस्थान और आईआईटी कानपुर में समझौता

कानपुर: राष्ट्रीय शर्करा संस्थान (NSI), कानपुर और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT), कानपुर ने 15 जून, 2024 को NSI कानपुर में जैव ईंधन के लिए उत्कृष्टता केंद्र (सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर बायो फ्यूल्स) स्थापित करने के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर श्री अश्वनी श्रीवास्तव, संयुक्त सचिव (शर्करा), भारत सरकार, प्रोफेसर मणींद्र अग्रवाल, निदेशक, IIT कानपुर, और प्रोफेसर सीमा परोहा, निदेशक, NSI कानपुर उपस्थित थे। इस महत्वपूर्ण समारोह में प्रोफेसर राजीव जिंदल, प्रोफेसर देबोपम दास, श्री विनय कुमार, श्री अनूप कुमार कनौजिया, और डॉ. आर. अनंतलक्ष्मी भी शामिल थे।

समझौते के अंतर्गत, दोनों संस्थान संयुक्त परियोजनाओं पर कार्य करेंगे, जो जैव ईंधन उत्पादन की प्रभावशीलता और दीर्घकालिकता को बढ़ावा देंगे। इस सहयोग के पहले चरण में, NSI और IIT कानपुर से प्रस्ताव प्राप्त किए जाएंगे। अगले चरण में, केंद्रीय और राज्य सरकार द्वारा समर्थित संस्थानों, विश्वविद्यालयों, और उद्योगों से भी प्रस्ताव लिए जाएंगे।

इस शोध में बायोमास से एथेनॉल, मीथेनॉल, बायो-सीएनजी, एविएशन फ्यूल, और ग्रीन हाइड्रोजन जैसे जैव ईंधनों के उत्पादन पर विस्तृत अध्ययन किया जाएगा। यह समझौता ज्ञापन तीन वर्षों के लिए मान्य है, जिसे अवधि पूरी होने पर समीक्षा और आपसी सहमति के आधार पर बढ़ाया जा सकता है।

प्रोफेसर अग्रवाल ने कहा कि NSI और IIT कानपुर की संयुक्त शक्ति जैव ईंधन के क्षेत्र में भारत को नेतृत्व की स्थिति में लाने में सहायक होगी। श्री श्रीवास्तव ने बताया कि इस समझौते से न केवल कच्चे तेल के आयात बिल में कटौती होगी, बल्कि आयातित जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता भी कम होगी, जिससे ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत का लक्ष्य प्राप्त होगा। प्रोफेसर परोहा ने बताया कि इस परियोजना के लिए एक समर्पित भवन, अत्याधुनिक प्रयोगशाला और उपकरण स्थापित किए जाएंगे, जिसकी कुल लागत राशि मंत्रालय द्वारा प्रदान की जाएगी।

यह समझौता जैव ईंधन की नवाचारी तकनीकों के विकास, मौजूदा प्रक्रियाओं के अनुकूलन, और उच्च गुणवत्ता वाले जैव ईंधन के उत्पादन का मार्ग प्रशस्त करेगा, जिससे ऊर्जा आपूर्ति को संरक्षित करते हुए जलवायु को संरक्षित किया जा सकेगा।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top