कश्यप सन्देश

10 October 2024

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पितृपक्ष : एक वरदान:(भाग-1): ए.के. चौधरी की कलम से

हर बार जब हमारे जीवन में सामाजिक, आर्थिक या पारिवारिक समस्याएं आने लगती हैं, हम अक्सर इसे अपनी किस्मत का दोष मान लेते हैं। लेकिन क्या कभी हमने सोचा है कि हो सकता है, ये समस्याएं हमारे पूर्वजों से जुड़े किसी कर्म या पितृ दोष के कारण हों? जीवन और मृत्यु के बीच हमारे कर्मों में कुछ ऐसे होते हैं जो उचित नहीं माने जाते, और ये पितृ दोष के रूप में प्रकट हो सकते हैं।

पितृ दोष के कुछ लक्षण होते हैं:

  1. घर में लगातार लड़ाई-झगड़े।
  2. स्वयं की या परिवार की तरक्की का रुकना।
  3. परिवार के सदस्यों का बीमार रहना।
  4. संतान का न होना या उससे संबंधित परेशानियां।
  5. बच्चों के विवाह में रुकावटें आना।

लेकिन चिंता करने की जरूरत नहीं, हर समस्या का हल होता है। और मैंने अपने अनुभव से यह जाना है कि पितृ दोष वास्तव में एक वरदान हो सकता है।

पितृपक्ष: पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त करने का समय

पितृपक्ष के दिनों में हमारे पूर्वज, जिन्हें हम “पितृ” कहते हैं, हमारे घरों में आते हैं। वे हमारे घर के हाल-चाल देखने आते हैं, और यह देखते हैं कि हम उनके प्रति कैसा व्यवहार कर रहे हैं। ये 15-16 दिनों का समय पितृ हमारे घर में रहते हैं, और इस दौरान हमें उनके लिए कुछ आवश्यक कार्य करने चाहिए ताकि वे खुश होकर हमें आशीर्वाद दें।

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