जीवन का चित्र: कवि राम सिंह कश्यप की कलम से
यह जीवन का रूप अधूरे सपनों की छाया है,जग तो केवल चित्र है, इसमें मन क्यों उलझाया है। जैसे सागर में जल ही तो लेता रूप तरंगों का,वैसे ही कुछ मूल्य नहीं है, जीते मरते अंगों का।सोचो तो सागर के जल ने क्या खोया पाया है?जो प्रशांत है, वह लहरों से होता कभी अशांत नहीं,जीवन […]
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