नई दिल्ली, 10 जुलाई 2024: सुप्रीम कोर्ट ने आज एक ऐतिहासिक फैसले में कहा कि मुस्लिम महिलाएं भी अपने पति से गुजारा भत्ता मांग सकती हैं। यह फैसला धारा 125 दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) के तहत दिया गया है, जो सभी विवाहित महिलाओं पर लागू होती है, चाहे उनका धर्म कोई भी हो।
मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि धर्म के आधार पर महिलाओं को उनके अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता। धारा 125 CrPC का उद्देश्य महिलाओं और बच्चों की आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करना है और यह सभी महिलाओं के लिए समान रूप से लागू होती है।
इस फैसले के बाद मुस्लिम महिलाएं भी अपने पति से गुजारा भत्ता मांग सकती हैं, भले ही उनका विवाह शरिया कानून के तहत हुआ हो। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि यह प्रावधान धर्मनिरपेक्ष कानून के रूप में काम करता है और इसका उद्देश्य जरूरतमंद महिलाओं को सहायता प्रदान करना है।
इस फैसले का स्वागत करते हुए महिला अधिकार संगठनों ने इसे एक महत्वपूर्ण कदम बताया है, जो महिलाओं के आर्थिक और सामाजिक अधिकारों को मजबूत करेगा। उन्होंने कहा कि यह फैसला देश की सभी महिलाओं को समान अधिकार देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
वकीलों और कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला मुस्लिम महिलाओं को उनके अधिकारों के लिए लड़ने का एक सशक्त साधन प्रदान करेगा और उन्हें कानूनी सुरक्षा प्रदान करेगा। इससे पहले, मुस्लिम महिलाओं को गुजारा भत्ता के लिए केवल धार्मिक कानूनों पर निर्भर रहना पड़ता था, लेकिन अब वे CrPC की धारा 125 का लाभ उठा सकेंगी।