उड़ान थी आसमान की, पर पंख नहीं थे साथ,
फिर भी बढ़ा वो निडर, नहीं मानी कभी मात।
सपनों को जो बुनते हैं, उनका हौसला होता अडिग,
निषाद कुमार ने दिखाया, कैसे होता है दिल से बड़ा जग।
हर कदम पे कांटे थे, पर राहों से नहीं डिगा,
चुनौतियों को मात दी, और ऊँचाइयों तक जा टिका।
पैरालिंपिक्स की पवित्र भूमि पर, उसने रचा इतिहास,
रजत की चमक में बसा, उसका हर एक प्रयास।
मेहनत की उसने मूरत, संकल्प की रखी नींव,
हर छलांग में गूंजा, उसका हौसला, उसकी तासीर।
निशाद, तेरा नाम अब, हर दिल में बसा रहेगा,
तेरी इस कहानी से, हर युवा आगे बढ़ेगा।
जीवन के इस खेल में, तू बना जीत का प्रतीक,
तेरे जैसे वीर से, होता है देश का भाग्य रचीक।
चलता जा यूं ही आगे, दुनिया को दिखा दे फिर,
कि जब हौसले हो बुलंद, तो हर सपना सच हो, एक दिन।