
फतेहपुर (उत्तर प्रदेश) के ग्राम लहंगी में भारतीय वंचित समाज पार्टी के राष्ट्रीय सचिव मनोज कुमार मछवारा ने अपने समुदाय के बीच सभा में मछुआ समुदाय के हक और उनकी पहचान से जुड़ी एक गंभीर समस्या पर विचार व्यक्त किए। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश में गोंड और माझावर जाति को अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र देने से मछुआ समुदाय के बीच भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो गई है।
मनोज मछवारा ने कहा कि इन जातियों के प्रमाण पत्र का लाभ लेने वालों ने मछुआ समुदाय से खुद को अलग कर एक नया वर्ग बना लिया है। उन्होंने यह भी बताया कि ऐतिहासिक दृष्टिकोण से 70 साल पहले गोंड और माझावर जाति मछुआ समुदाय का हिस्सा थीं। इनके बीच सामाजिक और सांस्कृतिक संबंध निषाद, बिंद, लोधी, कहार, कश्यप आदि के साथ रहे हैं, जिसमें आपसी रोटी-बेटी का संबंध भी था।
उन्होंने कहा कि गोंड और माझावर जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने से मछुआ समुदाय की संख्या में कमी आई है और “फूट डालो, राज करो” की नीति को बढ़ावा मिल रहा है। मनोज मछवारा ने अपने समाज की पिछड़ती स्थिति का उल्लेख करते हुए इसके उत्थान के लिए एकजुटता पर जोर दिया और भारतीय वंचित समाज पार्टी के सदस्यता अभियान को आगे बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया।