कश्यप सन्देश

6 December 2024

ट्रेंडिंग

आदिवासी: सभ्यता के आदि निवासी :बाबू बलदेव सिंह गोंड की कलम से

लालच बुरी बला है : कवि रामसिंह कश्यप ‘राम’ की कलम से

लालच बुरी बला है, लालच ना कीजिए,
जो बात सच नहीं है, उसे सच ना कीजिए।

सत्य शास्त्र का कहना, यही कहना है ग्रंथ का,
मानव ना बन पुजारी कभी झूठ पथ का।
रचना जो है दुखों की, उसे रच ना कीजिए,
लालच बुरी बला है, लालच ना कीजिए।

लालच की कथा से भरे इतिहास देखिए,
लालच से होता शीघ्र सर्वनाश देखिए।
लालच की नर्तकी के संग नाच ना कीजिए,
लालच बुरी बला है, लालच ना कीजिए।

लालच के वश में देवता भी दैत्य हो गए,
सुर भी असुर, पितर भी भूत प्रेत हो गए।
पक्की जो आत्मा है, उसे कच ना कीजिए,
लालच बुरी बला है, लालच ना कीजिए।

संतोष, शांति, समता, सहनशीलता जहां,
रहते हैं वहां राम, उन्हें ढूंढना कहां।
जो जग को बचाती है, उसे पच ना कीजिए,
लालच बुरी बला है, लालच ना कीजिए।

सम्मुख जो दृश्य है, वह भ्रमित भावना के हैं,
जो कर्म है लालच के, व्यर्थ कामना के हैं।
कर्मों का फल भुगतने पर बच ना कीजिए,
लालच बुरी बला है, लालच ना कीजिए।

जो बात सच नहीं है, उसे सच ना कीजिए,
लालच बुरी बला है, लालच ना कीजिए।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top