यह अमृत तुल्य माना जाता है। विदेशों में तो इसे बहुत ही उपयोगी माना जाने लगा है। बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी के एक महान वैज्ञानिक जो अमेरिका में नौकरी किए और वह वहीं वर्तमान में वहीं बस गये हैं, ने इस पौधे को बहुत से रोग़ो में लाभदायक मानते हुए कई एकड़ जमीन में इसका बड़े पैमाने पर उत्पादन किया। तुलसी ऐसा पौधा है, जिसके पत्ते,फूल,फल और जड़ से तमाम तरहकी औषधियां बनाई जारही हैं।
वैसे बहुत विस्तार में नजाकर मैं कम शब्दों में इसके औषधीय गुण का वर्णन नीचे लिखी पंक्तियों में कर रहा हूं, जो मानवजाति के विभिन्न रोगों में लाभ पहुंचाने और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में समर्थ है। तुलसी के पत्तों में एंटीफलामेटरी,एंटी बैक्टेरियल बैक्टेरियल गुण पाये जाते हैं, जिससे साधारण बुखार से लेकर वायरल,व बैक्टेरियल बुखार को ठीक किया जा सकता है।पाचन संबंधी रोगों में भी इसका प्रयोग लाभदायक होता है। सर्दी, खांसी, जुकाम होने पर इसके पत्तों की चाय बना कर पिलाने से ये रोग ठीक हो सकते हैं। इसमें पारेकाअंशभी पाया जाता है, इसलिए इसमें गर्म पानी का इस्तेमाल किया जाना उचित है,पारा होने के कारण इसका दूध के साथ इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इसमें एंटी फंगल गुण पाये जाते हैं, जो हमें संक्रमण से बचाते हैं। तुलसी के पत्तों कार्स,शहद व अदरक के साथ अधिक लाभदायक होता है।वात,कफकोठीक करने, पाचनशक्ति बढ़ाने और भूख बढ़ाने में और इस केपत्ते कारस ख़ून को शुद्ध करने में लाभकारी होता है। मलेरिया बुखार,दिलकी बीमारी और पेट दर्द में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। वैसे श्यामा तुलसी अधिक कारगर सिद्ध हुई है। डायरिया या पेट मरोड़ में भी पत्ते कार्स फायदे मंद होता है। वैसे सादी हरे तुलसी की पत्ती भी कम लाभदायक नहीं है। पीलिया में तुलसी का् पत्ता और इसका बीज लाभप्रद होता है। रतौंधी में तुलसी के पत्तों का रस लाभदायक होता है। साइन साइटिस और पीनस रोग में इसके पत्तों कारस लाभकारी होता है। कानके दर्द और दांत के दर्द मे श्यामा तुलसी के पत्तों का रस गर्म पानी से लेते रहना लाभकारी होता है।इसके जड़ से तुलसी की माला बनाई जाती है जो पूजा में प्रयोग की जाती है। गले में माला धारण करने से गर्मियों में शीतलता का अनुभव होता है। कहा यह भी जा रहा है कि विदेशों में तुलसी का प्रयोग कैंसर जैसे असाध्य रोगों को ठीक करने में मददगार सिद्ध होगा,जिसपर वैज्ञानिकों द्वारा रिसर्च किया जा रहा है। इस पर कार हम देख रहे हैं कि यह एक विलक्षण औषधीय पौधा है,जिसे अमृत तुल्य माना जाता है।ऐसा लेखक का हीनही पूरे हिन्दू समाज की आस्था इससे जुड़ी हुई है।सौजन्य से रामवृक्ष प्राकृतिक चिकित्सक वाराणसी।व भूतपूर्व इंजीनियर