कश्यप सन्देश

18 November 2025

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जिस घर की चौपालों पर लगते रोज़ ठहाके, आज वहीं पर एक उदासी आकर ताके-झाँके

कानपुर, 16 नवम्बर 2025।
यशशेष डॉ. राजेन्द्र प्रसाद त्रिपाठी की पावन स्मृति में के.डी.ए. मार्केट, एच–2 ब्लॉक, किदवई नगर में काव्योत्सव एवं सम्मान समारोह का भव्य आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि अशोक शास्त्री ने तथा संचालन युवा कवि अभिषेक “सागर” ने किया।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में श्री शरद त्रिपाठी, अतिरिक्त जिला जज (माती), कानपुर देहात उपस्थित रहे।

कार्यक्रम की शुरुआत डॉ. अरुण तिवारी ‘गोपाल’ की सरस्वती वंदना से हुई।
कवि डॉ. प्रदीप त्रिपाठी ने अपनी भावपूर्ण रचना—
“धरती छोटी, क्षुद्र आसमान, मुट्ठी में संसार,
पिता जब तक संग में रहता, सभी स्वप्न साकार…”
पढ़कर खूब तालियाँ बटोरीं।
वरिष्ठ कवि अशोक शास्त्री ने पिता की स्मृतियों को शब्द देते हुए प्रस्तुत किया—
“जिस घर की चौपालों पर लगते रोज ठहाके,
आज वहीं पर एक उदासी आकर ताके–झाँके…”
जिससे वातावरण भावुक एवं संवेदनशील हो उठा।

कवि दीप शुक्ल ने अपनी रचना—
“मात-पिता बिन घर है सूना, सूना यह संसार,
सारे रिश्ते-नाते सूने, सूना जग व्यवहार…”
से श्रोताओं की दिली प्रशंसा प्राप्त की।
ओज के सिद्ध कवि बृजेन्द्र प्रताप सिंह ने ओजस्वी पंक्तियों से राष्ट्रप्रेम की अलख जगाई, वहीं कवि राजेश सिंह की वैचारिक रचनाएँ विशेष रूप से सराही गईं।
कार्यक्रम में उपस्थित अन्य गणमान्य साहित्यप्रेमियों में
डॉ. विद्या शंकर दीक्षित, डॉ. मनोज अग्रवाल (अतर्रा), डॉ. अनिल उमराव,
राम किशन कश्यप ‘राम’, विदुषी त्रिपाठी, प्रज्ञांश त्रिपाठी,
अनिल अवस्थी ‘साजन’, अखिलेश चंद्र मिश्र, गोपाल मिश्र,संतोष कटियार, राम गोपाल जायसवाल आदि प्रमुख रहे।
अतिथियों के प्रति आभार श्रीमती ज्योति त्रिपाठी द्वारा व्यक्त किया गया।

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