कश्यप सन्देश

14 October 2025

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विश्वविख्यात काशी नगरी : धर्म, संस्कृति और घाटों का अनूठा संगम

वाराणसी/काशी/बनारस— उत्तर प्रदेश स्थित वाराणसी विश्व की प्राचीनतम, पवित्र और धार्मिक नगरियों में से एक है। यह नगरी अपने अद्वितीय आध्यात्मिक वातावरण, समृद्ध संस्कृति और परंपराओं के कारण विश्वविख्यात है। पुराणों में वर्णित है कि मोक्षदायिनी काशी भगवान शिव के त्रिशूल पर बसी हुई है और इसका कभी विनाश नहीं हो सकता।

स्वतंत्र लेखक रामवृक्ष जी वाराणसी

84 घाटों की क्रमबद्ध सूची

क्रमांक घाट का नाम क्रमांक घाट का नाम

1 अस्सी घाट 43 हनुमान घाट
2 तुलसी घाट 44 प्रयाग घाट
3 हरिश्चंद्र घाट 45 चौसठी घाट
4 केदार घाट 46 राजेन्द्र प्रसाद घाट
5 दशाश्वमेध घाट 47 राजा ग्वालियर घाट
6 मणिकर्णिका घाट 48 गंगा महल घाट
7 भीमचण्डी घाट 49 जैन घाट
8 चौसट्ठी घाट 50 दक्षिण केदार घाट
9 सरस्वती घाट 51 दक्षिण दशाश्वमेध घाट
10 भदैनी घाट 52 राज घाट
11 ललितादेवी घाट 53 दिगपतिया घाट
12 मानसरोवर घाट 54 गंगाधर घाट
13 हरिद्वार घाट 55 जुना घाट
14 आदिकेशव घाट 56 गंगोत्री घाट
15 पंचगंगा घाट 57 मीर दक्षिण घाट
16 श्रेमेश्वर घाट 58 फूटा घाट
17 राजा घाट 59 जागेश्वर घाट
18 शिवाला घाट 60 संकठा घाट
19 मुंशी घाट 61 शिवाला दक्षिणी घाट
20 दरभंगा घाट 62 मानसरोवर दक्षिणी घाट
21 अहिल्याबाई घाट 63 त्रिपुर भैरवी घाट
22 निषादराज घाट 64 चिन्तामणि घाट
23 निरंजनी घाट 65 रामेश्वर घाट
24 शीतला घाट 66 शिवाला उत्तरी घाट
25 रानी घाट 67 चेतसिंह घाट
26 गुलेरिया घाट 68 केदार उत्तरी घाट
27 डांडी घाट 69 मणिकर्णिका दक्षिणी घाट
28 गाय घाट 70 क्षेमेश्वर घाट
29 दत्तात्रेय घाट 71 अस्सी घाट दक्षिणी
30 मीर घाट 72 मणिकर्णिका उत्तरी घाट
31 मंदाना घाट 73 जानकी घाट
32 सिद्ध विनायक घाट 74 पंचगंगा दक्षिणी घाट
33 जैतपुरा घाट 75 शिवाला उत्तरी (दक्षिण)
34 व्यास घाट 76 तेलिया घाट
35 राम घाट 77 गुलेरिया दक्षिणी घाट
36 वृजरामया विश्राम घाट 78 राम घाट दक्षिणी
37 प्रहलाद घाट 79 जूना अखाड़ा घाट
38 धन्वंतरि घाट 80 दांडी घाट दक्षिणी
39 जानकी घाट 81 दिगंबर घाट,40 जागेश्वर घाट 82 मानमंदिर महानिर्वाणी घाट
41 गोला घाट 83 आदिकेशव दक्षिणी घाट
42 पंचकोटा घाट 84 गड़वा घाट (नवीन)

नये अस्तित्व में आये घाट
नगवां घाट
नमो घाट सामने घाट
परमहंस स्वामी घाट
गड़वा घाट मलहिया घाट
काशी का धार्मिक महत्व

काशी केवल हिन्दू धर्म का ही नहीं, बल्कि बौद्ध और जैन धर्म का भी पावन तीर्थ है। यही कारण है कि इसे तीन धर्मों की संगम स्थली कहा जाता है।

कहा जाता है कि यह नगरी भगवान शिव की अपनी नगरी है और इसका कभी नाश नहीं हो सकता। काशी अनादि काल से आध्यात्मिकता, सनातन संस्कृति और मोक्ष की कामना का प्रतीक रही है।
✍️ लेखक : ईं. रामवृक्ष
सिविल इंजीनियर, वाराणसी
📱 9616233399

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