कश्यप सन्देश

5 December 2024

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आदिवासी: सभ्यता के आदि निवासी :बाबू बलदेव सिंह गोंड की कलम से

राम सिंह ‘राम’ कश्यप

पावन मानव का शरीर ही शिवमय परम प्रसाद है:राम सिंह "राम" कश्यप की कलम से

पावन मानव का शरीर ही शिवमय परम प्रसाद है:राम सिंह “राम” कश्यप की कलम से

जिसमे हर्ष विषाद नहीं है,,उसका नाम निषाद है।पावन मानव का शरीर ही,शिवमय परम प्रसाद है। देव, दनुज, मानव, दानव,ऋषि कश्यप की है संतानें,दिति, अदिति दो भेद भाव से,इनका जन्म हुआ जाने।अविनाशी चैतन्य आत्मा,जीवन की बुनियाद है,पावन मानव का शरीर ही,शिवमय परम प्रसाद है। ऋषि कश्यप के अदिति तेज से ही ,बारह आदित्य प्रकट हुए,दिति के […]

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राजनीति का परिदृश्य: राम सिंह "राम" कश्यप की कलम से

राजनीति का परिदृश्य: राम सिंह “राम” कश्यप की कलम से

राजनीति में राज बहुत है गहरे, लेकिन नीति नहीं होती,गठबंधन सत्ता से हो, तो सत्य से प्रीति नहीं होती। नारे दिन-रात देते रहते, रामराज हम लाएंगे,कब तक और कैसे आएगा, राज नहीं बताएंगे। जो संदेह से स्वयं ग्रसित हो, स्थिर नीति नहीं होती,नेता गण भोली जनता को, सब्ज़ बाग दिखलाते रहते। पंचशील के प्रबल पुजारी,

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मुझे मत भूल ऐ बंदे...........

मुझे मत भूल ऐ बंदे………..

मुझे मत भूल ऐ बंदे – मैं हर एक दिल में रहता हूँ।मैं ही कण-कण, मैं ही क्षण-क्षण – मैं ही तिल-तिल में रहता हूँ। वहीं मैंने दिया उसको जो उसने मुझसे माँगा है,असत् अज्ञान (आभिमान) ने ही सत्य को शूली पे टाँगा है। न रहता हाशिये पर, हौसले हासिल में रहता हूँ,मुझे मत भूल

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