बरेली कश्यप सन्देश। लेखपाल मनीष कश्यप की हत्या के बाद से लेखपालों में जबरदस्त आक्रोश है। लेखपाल अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं। सभी तहसीलों में लेखपालों का धरना जारी है। लेखपाल संघ की मांग है कि जब तक पीड़ित परिवार को न्याय नहीं मिल जाता तब तक ये हड़ताल जारी रहेगी। 21 दिसंबर से ये हड़ताल प्रदेशव्यापी हो जाएगी।
बरेली जनपद के फरीदपुर तहसील में तैनात लेखपाल के 18 दिन बाद शव के कुछ अवशेष मिले थे। पूरा शव बरामद नहीं हुआ था। इतना ही नहीं अभी तक केवल पुलिस ने दो हत्यारों को ही गिरफ्तार किया है, जबकि दो हत्यारे अभी भी फरार है।
बरेली में लेखपाल संघ हड़ताल पर:बोले-मनीष कश्यप के परिवार को जब तक नहीं मिलेगा न्याय, तब तक चलेगी हड़ताल।
लेखपाल मनीष कश्यप की हत्या के बाद से लेखपालों में जबरदस्त आक्रोश है। लेखपाल अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं। सभी तहसीलों में लेखपालों का धरना जारी है। लेखपाल संघ की मांग है कि जब तक पीड़ित परिवार को न्याय नहीं मिल जाता तब तक ये हड़ताल जारी रहेगी। 21 दिसंबर से ये हड़ताल प्रदेशव्यापी हो जाएगी। अभी तक केवल पुलिस ने दो हत्यारों को ही गिरफ्तार किया है, जबकि दो हत्यारे अभी भी फरार है।
लेखपाल संघ का कहना है कि जिस दिन लेखपाल का अपहरण हुआ परिवार वाले उसी दिन थाने जाते है, SDM से शिकायत करते है। लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती है। मामले को गंभीरता से नहीं लिया जाता है और 18 दिनों बाद लेखपाल मनीष कश्यप को खोपड़ी और कुछ हड्डियां मिलती है। ऐसे में लेखपाल का परिवार और लेखपाल संघ काफी आक्रोश में है।
लेखपाल संघ ने मांग की है कि लेखपाल मनीष कश्यप की हत्या के लिए फरीदपुर एसडीएम, इंस्पेक्टर, सीओ ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया था। इस वजह से ये घटना हुई है। लेखपाल संघ ने मांग की है कि ऐसी स्थिति में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया है कि प्रकरण में दोषी उच्चाधिकारियों व पुलिस अधिकारियों के विरुद्ध प्रभावी कार्यवाही नहीं की जाती है तब तक समस्त सदस्य, लेखपाल संघ हड़ताल पर रहेगा।
नर कंकाल की फोरेंसिक जांच आख्या 24 घंटे में उपलब्ध कराई जाए। साथ ही जांच के बाद लेखपाल मनीष कश्यप की हत्या के दोषी व्यक्त्तियों पर रिपोर्ट दर्ज की जाए। फोरेंसिक जांच आख्या में यदि प्राप्त अवशेष मृतक लेखपाल मनीष कश्यप के है। तब तत्काल प्रभाव से ऑन ड्यूटी होने पर कर्मचारी के आश्रित परिवार को 50 लाख रुपए सहायता राशि एवं आश्रित को शासकीय सेवा में सेवायोजित किया जाए।
आरोपी ओमवीर बोला- 2 पत्नियों का खर्च चलाने को किया अपहरण बरेली पुलिस ने लेखपाल मनीष कश्यप हत्याकांड का खुलासा कर दिया है। पुलिस ने इस मामले में आरोपी ओमवीर उर्फ अवधेश और नन्हे पुत्र सुखराम को गिरफ्तार किया है। जबकि इस मामले में सूरज और नेत्रपाल अभी फरार है।
लेखपाल का कंकाल रविवार को मिर्जापुर गांव में सुनसान इलाके में नाले से बरामद हुआ था। 27 नवंबर को लेखपाल की अपहरण के बाद हत्या कर दी गई थी।यह मैसेज संबन्धित लोगों और लेखपाल संघ के अनिश्चितकालीन धरने पर जानें की सूचना पर प्राप्त हो सका है, यदि लेखपाल संघ हड़ताल पर नहीं जाता तो उक्त आरोपित दवय पकड़ से बाहर हो ते। लेकिन दुःख इस बात काहैकिबिरादरीऔर समाज के लोगों ने इस दिशा में कोई कार्यवाही नहीं किया।यह दुखद पहलू है। उक्त घटना अति जघन्यतम की श्रेणी में है, जिसके संबंध में स्थानीय प्रशासन कोई विशेष कदम नहीं उठाया है अब तक। अतः कश्यप संदेश पत्र के माध्यम से भी प्र शासनको तुरंत आवश्यक कार्यवाही हेतु पत्रअवशयलिखा जाना चाहिए। कातिल के बयान के अनुसार उसकी दो पत्नियां हैं, तो उनके भरण पोषण हेतु किसी काघर उजाड़ देने का क्या औचित्य है। इस संबंध में चारों आरोपियों को अजीवन कारावास और मनीष कश्यप के परिवार के भरण पोषण हेतु उक्त आरोपियों की संपत्ति से वसूली कर मनीष कश्यप के परिवार को दिया जाना अति आवश्यक है। तथा प्रशासन कीतरफसे मनीष के परिवार जन को सरकारी नौकरी और 50लाख रुपए दिया जाना उचित होगा, अन्यथा की स्तिथि में लेखपाल संघ और परिवारी जन केलिए आमरण अनशन वधरना प्र दर्शन कर ने का अलावा कोई विकल्प नहीं रह जाता।
कर्ज अधिक होने की वजह से लेखपाल के अपहरण की प्लानिंग की पुलिस पूछताछ में आरोपी ओमवीर ने लेखपाल मनीष कश्यप की हत्या करना कबूल किया है। उसने बताया कि मेरे ऊपर काफी कर्ज था और मेरी दो पत्नियां हैं। एक नोएडा तो दूसरी बरेली में रहती है। उनका खर्चा भी चलाना पड़ता है, जिस वजह से उसने लेखपाल मनीष कश्यप का अपहरण कर लिया था।
और चार लाख रुपए की फिरौती मांगनी थी। लेकिन फिरौती मांगने से पहले पुलिस ने आरोपी ओमवीर को गिरफ्तार कर लिया। ओमवीर की निशानदेही पर पुलिस ने लेखपाल के कंकाल को बरामद कर लिया।
एक पत्नी नोएडा और दूसरी बरेली में ओमवीर के ऊपर पहले से तीन मुकदमे चल रहे हैं। कुछ दिनों पहले ही वह जेल से जमानत पर बाहर आया है। उसकी जमानत में भी काफी रुपया खर्च हुआ था। जिस वजह से ओमवीर पर काफी कर्ज हो गया है।
ओमवीर ने एक कार भी फाइनेंस कराई थी। इसकी ईएमआई भी उसको देनी पड़ती थी। वही दो बीवियां होने की वजह से खर्च और अधिक बढ़ गया था। एक पत्नी उसकी नोएडा में रहती है तो दूसरी बरेली में।
आर्थिक तंगी बनी लेखपाल की हत्या की वजह पुलिस पूछताछ में ओमवीर ने बताया कि आर्थिक तंगी बहुत ज्यादा चल रही थी। जिस वजह से उसने लेखपाल का अपहरण किया। पुलिस पूछताछ में ओमवीर ने बताया कि लेखपाल मनीष कश्यप मेरी जात का होने के कारण मेरा पहले से ही परिचित था।
लेखपाल की तैनाती तहसील फरीदपुर में होने के कारण मैं उनका छोटा-मोटा काम कर देता था। जिसके बदले में मुझे कुछ कमीशन मिल जाता था। मेरी आर्थिक स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं है। मेरे मामा के साढ़ू नन्हें लाल, एक अन्य रिश्तेदार सूरजऔर मेरे मामा के ससुर नेत्रपाल के साथ मिलकर लेखपाल मनीष कश्यप के अपहरण की योजना बनाई।
लेखपाल को शराब पिलाने के बहाने बुलाया 27 नवंबर को मैने लेखपाल मनीष कश्यप को फोन पर शराब पिलाने के बहाने मिलने को बुलाया। योजना के अनुसार मैंने अपनी अर्टिगा कार से सूरज से साथ बैठकर बुखारा फरीदपुर रोड रेलवे क्रॉसिंग पहुंचा। यहां मैंने लेखपाल मनीष कश्यप को फोन कर जरूरी काम बताकर गाड़ी के पास बुला लिया।
थोड़ी देर बाद लेखपाल मनीष कश्यप हमारे पास आ गया और सूरज ने अपने पैसे से पास में शराब की दुकान से चार पौवे शराब के लिए। उसके बाद लेखपाल हमारी गाड़ी में बैठकर कस्बा फरीदपुर से बाहर आकर लेखपाल मनीष ने 100 रुपए की नमकीन वह अन्य सामान खरीदा। जिसके बाद हम लोग आगे चल दिए।
तभी लेखपाल मनीष कश्यप के नशे में हो जाने पर सूरज ने लेखपाल का फोन स्विच ऑफ कर दिया। योजना के मुताबिक हम जब बुखारा कैंट होते हुए सरदार जी के खाली पड़े फार्म हाउस पहुंचे। यहां नेत्रपाल नौकरी करता था। यहीं पर मनीष को बंधक बनाकर रखना था। लेकिन नेत्रपाल घबरा गया और लेखपाल मनीष कश्यप को फार्म हाउस पर रखने से मना कर दिया।
इसके बाद नन्हें ने कहा- अब लेखपाल मनीष कश्यप को जिंदा छोड़ना खतरे से खाली नहीं है। इसके बाद नेत्रपाल व सूरज तीनों ने सलाहकार लेखपाल मनीष कश्यप को दोबारा गाड़ी में बैठा लिया। और बैठक कर वहां से चल दिए। मैं अपनी कार चला रहा था। इस दौरान बीच की सीट पर सूरज और नेत्रपाल ने मनीष कश्यप को बैठा लिया।
मफलर से गला कसकर की हत्या योजना के मुताबिक सूरज ने अपने मफलर से लेखपाल मनीष कश्यप का गला कसकर हत्या कर दी। नशा ज्यादा होने के कारण लेखपाल मनीष कश्यप विरोध नहीं कर सका। सबको ठिकाने लगाने के लिए हम लोगों ने कार को बदायूं रोड की तरफ बढ़ा दिया।
सही स्थान न मिलने के कारण वापस बुखारा रोड पर मिर्जापुर गांव के पास कच्चे रास्ते पर बहने वाले नाले में लेखपाल के शव को डाल दिया। शव को डालने से पहले हमने उसकी तलाशी ली। जिससे उसकी जेब से पर्स व कुछ अन्य सामान मिला। शव को नाले में डालने के बाद हम लोग अपने-अपने घर चले गए।
लेखपाल की गुमशुदगी के पर्चे से लिया फोन नंबर कुछ दिन हम लोगों ने पुलिस की छानबीन पर नजर रखी। इन्हीं दिनों सूरज ने खंबे पर चिपके मनीष कश्यप की गुमशुदगी के पोस्टर से उसके परिवार वालों का नंबर ले लिया। जिससे हम उसके परिवार वालों से फिरौती मांगने का प्लान बना रहे थे। उससे पहले ही पुलिस ने पकड़ लिया।
पुलिस को मिली आरोपियों की बातचीत की ऑडियो एसएसपी अनुराग आर्य ने बताया- इन लोगों की बातचीत के दो ऑडियो भी पुलिस को मिले हैं। जिससे यह साफ हो गया कि लेखपाल हत्याकांड को इन चार लोगों ने मिलकर अंजाम दिया है। ऑडियो में यह लोग आपस में बातचीत कर रहे हैं कि अभी फिरौती मांगने का समय नहीं है।
अभी ग्राम प्रधानों पर आरोप लगा है। जिस वजह से शांत रहो। अगर फोन किया तो फंस जाओगे। जिस वजह से इन लोगों ने फोन नहीं किया और शांत रहे। फोन पर ओमवीर का मामा कह रहा है कि लेखपाल का जो सामान हो वह भी ठिकाने लगा दो। वरना कहीं पुलिस तुम्हें पकड़ ना ले।
फरार दो आरोपियों के लिए दी जा रही दबिश एसएसपी ने बताया- इन दोनों आरोपियों से गहन पूछताछ की गई है। इनके दो साथियों को गिरफ्तार करने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि थाना फरीदपुर इंस्पेक्टर की भूमिका पर परिजनों ने सवाल उठाए थे। इसको लेकर मैंने पहले ही जांच बैठा दी है। परिजनों के कहने पर मैंने फरीदपुर की जगह फतेहगंज पश्चिमी थाने से इस मामले की विवेचना ट्रांसफर कर दी थी।