मनीष कुमार धुरिया जिला संवाददाता सीतापुर*
उत्तर प्रदेश के जनपद सीतापुर,कस्बा खैराबाद में स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की कार्यप्रणाली को लेकर स्थानीय मरीजों एवं तीमारदारों में गहरा रोष व्याप्त है। अस्पताल में उपचार के लिए आने वाले मरीजों का आरोप है कि स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सकों की नियमित उपस्थिति नहीं रहती, जिससे मरीजों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, अस्पताल में मौजूद मरीजों का कहना है कि दोपहर 12 बजे के बाद अधिकांश चिकित्सक उपलब्ध नहीं रहते और स्वास्थ्य सेवाएं कथित तौर पर केवल डाक्टर विपिन वर्मा चिकित्सक के सहारे चलती हैं। मरीजों ने यह भी आरोप लगाया कि अधिकांश दवाइयां अस्पताल से न देकर बाहर की मेडिकल दुकानों से लिखी जाती हैं, जिन्हें गरीब मरीज खरीदने में असमर्थ रहते हैं, कुछ मरीजों ने नाम न छापने की शर्त पर आरोप लगाया कि अस्पताल से लिखी जाने वाली दवाइयां विशेष मेडिकल स्टोरों से ही ली जाती हैं, जिससे कथित तौर पर कमीशनखोरी को बढ़ावा मिलता है। इसी तरह बाहरी जांचें भी निजी लैब में लिखे जाने के आरोप लगाए गए हैं, स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकार द्वारा निरूशुल्क दवा उपलब्ध कराने के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद मरीजों को बाहर से दवा खरीदने के लिए मजबूर किया जा रहा है। वहीं अस्पताल में अत्यधिक भीड़ के चलते कई बार एक ही बेड पर दो-दो मरीजों को लेटे देखा गया, महिला एवं बाल रोग विशेषज्ञ, नाक-कान-गला विशेषज्ञ की अनुपस्थिति को लेकर भी मरीजों ने नाराजगी जताई। आरोप है कि वरिष्ठ चिकित्सकों के स्थानांतरण के बाद से स्वास्थ्य केंद्र की स्थिति और बिगड़ गई है, जिससे मजबूरी में मरीज निजी अस्पतालों का रुख कर रहे हैं, रिपोर्टिंग के दौरान जब स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी से दवाओं की उपलब्धता को लेकर सवाल किया गया, तो उनका कहना
था कि जो दवाइयां उपलब्ध नहीं होतीं, वही बाहर से लिखी जाती हैं, हालांकि वे यह स्पष्ट नहीं कर सके कि कौन-कौन सी दवाइयां स्टॉक में नहीं हैं, स्थानीय नागरिकों ने यह भी आरोप लगाया कि आरटीओ मेडिकल प्रमाण पत्र बनवाने वालों को प्राथमिकता दी जाती है और इसके लिए कथित रूप से शुल्क लिया जाता है। लोगों का कहना है कि इससे आम मरीजों की उपेक्षा हो रही है, जनता को अब जिलाधिकारी से अपेक्षा है कि जिस तरह जनपद के अन्य स्वास्थ्य केंद्रों का निरीक्षण कर सुधार कराया गया है, उसी तरह खैराबाद सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की भी निष्पक्ष जांच कराई जाए, ताकि स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार हो सके और आमजन को राहत मिल सके।


