कश्यप सन्देश

4 December 2024

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दहेज़ प्रथा, एक सामाजिक बुराई

लेखक रामवृक्ष भु.पूर्व इंजीनियर उत्तर प्रदेश सरकार वाराणसी
कश्यप सन्देश दहेज़ का अर्थ है कि जो संपत्ति लड़की के विवाह के समय परिवार जनों के द्वारा वर पक्ष को दी जाती है। दहेज़ को उर्दू में जहेज़ कहते हैं। यूरोप,भारत, अफ्रीका तथा दुनियां के अन्य भागों में दहेज का लम्बा इतिहास है। वैसे आज के आधुनिक समय में दहेज प्रथा नाम की सामाजिक बुराई हर जगह फैली हुई है। पिछड़े भारतीय समाज में दहेज प्रथा आज भी विकराल रूप में फैली हुई है, जिसका आज़ तक समाधान होता नज़र नहीं आ रहा है।देश में हरेक घंटे में एक महिला की दहेज संबंधित मामलों से मौत हो रही है वर्ष 2007से2011के बीच इस प्रकार के मामलों में काफी वृद्धि होती देखी गई। भारतीय रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़े बताते हैं कि विभिन्न राज्यों में वर्ष 2012 में दहेज हत्या के 8223 मामले सामने आए। जिसके नियंत्रण के लिए भारत सरकार ने कानून भी बनाए हैं,जो इस प्रकार हैं।1़.दहेज अधिनियम 1961केअनुसार दहेज लेने व देने या इसमें सहयोग करने वालों को 5 वर्ष की कैद और15000/जुर्माने का प्रावधान है।2.दहेज के लिए उत्पीड़न करने पर भारतीय दंड संहिता की धारा 408ए, जो पति और उसके परिवारवालों द्वारा संपत्ति अथवा कीमती वस्तुओं केलिए अवैधानिक मांग के मामले में 3साल की क़ैद और जुर्माना भी लगाया जा सकता है।3.यदि किसी लड़की के विवाह के 7साल के भीतर किसी भी संदिग्ध हालात या असामान्य परिस्थितियों में मौत होती है और यह साबित कर दिया जाता है कि मौत से पहले उसे दहेज के लिए प्रताड़ित किया जाता था, तो भारतीय दंड संहिता की धारा 304के अंतर्गत लड़की के पति और परिवारीजन को कमसे कम 7 वर्ष सजा से लेकर आजीवन कारावास की सजा हो सकती है।4.इसके अलावा दहेज प्रतिबंध 1961की धारा 2,धारा3, धारा 4,4ए, धारा 6, धारा 8बी का भी प्रावधान किया गया है। जिसमें अलग-अलग सजा का प्रावधान किया गया है।

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