






कानपुर फूलबाग क्षेत्र स्थित नाना राव पार्क में बड़े ही धूमधाम से मनाई गई सदगुरु रविदास जूलूस कमेटी (सेन्ट्रल), भारतीय दलित पँथर, उ०प्र० व सामाजिक संगठनों के संयुक्त तत्वावधान में विगत वर्षों की भांति इस वर्ष भी 12फरवरी को महाप्रभु सन्त शिरोमणि गुरु रविदास जी का 664 वॉ० जन्मोत्सव। गुरु रविदास के प्रवचन उपरान्त रविदास लंगर भोज का आयोजन हुआ जिसमें गुरु रविदास भक्तों ने छक कर प्रसाद चखा। इस पावन अवसर पर मुख्य अतिथि सम्माननीय प्रकाश राव अम्बेडकर जी के (पौत्र डॉ० बाबा साहब बी०आर० अम्बेडकर, अध्यक्ष बहुजन अघाढ़ी ) में आये हुये श्रोतागणों को सम्बोधित करते हुए कहा कि गुरु रविदास जी जब इस घरा पर आये तब समाज की सामाजिक व धार्मिक प्रवृत्तियों के विरूद्ध आवाज बुलंद की। उन्होंने जाति, रंग व नस्ल पर आधारित लोगों के अत्याचार का विरोध किया। समाजवाद, धर्म निरपेक्षिता, समानता, भातृत्व का संदेश फैलाने में अहम भूमिका निभायी। गुरु रविदास जी ने अपने ज्ञान वाणी में कहा कि किसी मानव की पहचान उसके जन्म से नहीं बल्कि कर्म से होती है तथागत गौतम बुद्ध की भांति सन्त गुरू ने यह भी शिक्षा दी कि धम्म के मार्ग पर चलने वालों के लिये जाति, नस्ल, लिंग व स्थान का कोई भेद-भाव नहीं है। उन्होंने पाखन्ड वाद पर भी करारा प्रहार किया और अपनी तर्क की कसौटी पर खरा उत्तरते हुए पारवन्द्रियों को परास्त किया। तथागत गौतम बुद्ध की भांति उन्होंने समस्त मानव समाज के हित की बात अपने ज्ञान व ध्यान में रखी तभी तो गुरु रविदास जी ने अपनी वाणी में कहा कि ऐसा चाहूँ राज मैं मिलें सवन को अन्न, छोट, बड़े सब सम बसे, रविदासहिं रहे प्रसन्न। ऐसे महान मानवता वादी सन्त को कोटि-कोटि नमन एवं वन्दन किया। आगे उन्होंने कहा कि संविधान जब 1950 में लागू हुआ तू रस के लोगों ने इसका विरोध किया और लोगों ने कहा कि जब कभी मौका मिला संविधान को बदल दिया जाएगा, संविधान की सुरक्षा के लिए हम सभी को साथ मिलकर काम करने की जरूरत है। अन्यथा मानवादी विचारधारा के लोग संविधान के प्रति शुरू से ही षड्यंत्रकारी विचारधारा रखते हैं।
अगली कड़ी में कार्यक्रम के उद्घाटनकर्ता आदरणीय श्री बी०पी० अशोक जी, पूर्व आई०पी०एस० ने भी अपने सम्बोधन में कहा कि समाज में अग्रणी भूमिका निभाने वाले सदैव संसार में जीवित रहते है व उनके प्रति आस्था जगजगीर है। कार्यक्रम में आये हुए अन्य वक्तागणो ने भी अपने सम्बोधन में महाप्रभु संत शिरोमणि गुरु रविदास जी पर व्याख्यान व्यक्त किये व नमन एवं वंदन किया गया।