


10 जुलाई 2025 को लखनऊ स्थित चौधरी चरण सिंह सभागार, सहकारिता भवन में आयोजित राष्ट्रीय मधुआरा दिवस का प्रादेशिक सम्मेलन सहकारिता के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक और प्रेरणादायी आयोजन सिद्ध हुआ।
सहकार भारती मत्स्य प्रकोष्ठ, उत्तर प्रदेश सरकार के सहकारिता विभाग, एनसीडीसी तथा अन्य संस्थाओं के संयुक्त तत्वावधान में यह सम्मेलन केवल विचार-विमर्श का मंच नहीं रहा, बल्कि यह गांव, गरिमा और संगठन की त्रिवेणी भावना का सशक्त प्रकटीकरण बन गया।


कार्यक्रम का शुभारंभ गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर भगवान वेदव्यास, भारत माता और परम श्रद्धेय लक्ष्मणराव इनामदार की तस्वीरों पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन के साथ हुआ — जो भारतीय संस्कृति एवं सहकार परंपरा की गूढ़ भावनाओं को अभिव्यक्त करता है।
प्रदेश के कोने-कोने से आए सहकारी मत्स्य समितियों के प्रतिनिधि, ग्राम्य उद्यमी, सहकार भारती के कार्यकर्ता, नीति-निर्माता, विशेषज्ञ और सामाजिक प्रतिनिधि इस आयोजन में सहभागी बने। उनके सामूहिक अनुभवों, संवादों और दृष्टिकोणों ने सम्मेलन को जीवंत, उद्देश्यपूर्ण और बहुआयामी बना दिया।


उद्घाटन सत्र में विशिष्ट जनों की गरिमामयी उपस्थिति इस आयोजन की गंभीरता और प्रासंगिकता को रेखांकित करती है।
मुख्य अतिथि के रूप में श्री दीपक चौरसिया, राष्ट्रीय महामंत्री, सहकार भारती उपस्थित रहे।
विशिष्ट अतिथियों में जयंती भाई केवट (राष्ट्रीय प्रमुख, मत्स्य प्रकोष्ठ), बीरु साहनी (चेयरमैन, उत्तर प्रदेश मत्स्य सहकारी संघ), तथा रमेश गौड़ कश्यप (सदस्य, उत्तर प्रदेश पिछड़ा वर्ग आयोग) का प्रेरक मार्गदर्शन प्राप्त हुआ।
कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. अरुण सिंह (प्रदेश अध्यक्ष, सहकार भारती) ने की, जो आयोजन की वैचारिक दिशा के सूत्रधार भी रहे। अरविंद दुबे (प्रदेश महामंत्री) ने मंचासीन सभी अतिथियों का आत्मीय स्वागत किया।


इस अवसर पर सहकार भारती के राष्ट्रीय, प्रादेशिक एवं जिला स्तर के प्रमुख पदाधिकारी उपस्थित रहे, जिनमें प्रमुख रूप से —
करमबीर सिंह (संगठन मंत्री, उत्तर प्रदेश),
विजय पांडे (सह-संगठन मंत्री),
कैलाशनाथ निषाद (प्रदेश मंत्री एवं प्रभारी, मत्स्य प्रकोष्ठ – बिहार एवं उत्तराखंड),
अभिनव कश्यप (प्रमुख, मत्स्य प्रकोष्ठ उत्तर प्रदेश),
शिवेंद्र प्रताप सिंह (प्रदेश कोषाध्यक्ष),
सुरेंद्र सिंह (प्रदेश संयोजक, वितरण प्रकोष्ठ),
पीयूष मिश्रा (जिला अध्यक्ष, लखनऊ),अरुण शर्मा (सह प्रमुख, मत्स्य प्रकोष्ठ उत्तर प्रदेश),
B.K. सिंह (प्रमुख, पैक्स प्रकोष्ठ उत्तर प्रदेश),
डी.पी. पाठक (उपाध्यक्ष, उत्तर प्रदेश),अनंत मिश्रा (राष्ट्रीय प्रमुख, बुनकर प्रकोष्ठ),
के.के. ओझा (राष्ट्रीय सह-प्रमुख, IT प्रकोष्ठ),
कुलदीप (राष्ट्रीय प्रमुख, IT सेल), राधेश्याम शर्मा (श्रीनिधि क्रेडिट सोसाइटी),
रोशन कुमार (प्रतिनिधि, बिहार),
अशोक शुक्ला (संपर्क प्रमुख),
हरबंस सिंह (सह प्रमुख, मत्स्य प्रकोष्ठ उत्तर प्रदेश – संचालनकर्ता),
राकेश शुक्ला (विभाग संयोजक, सहकार भारती, आगरा मंडल) की सहभागिता विशेष उल्लेखनीय रही।


सरकारी तंत्र से नागेंद्र सिंह (उपनिदेशक, NCDC उत्तर प्रदेश), राम अवध (उपनिदेशक, मत्स्य विभाग उत्तर प्रदेश) एवं श्री ताराचंद (वैज्ञानिक, राष्ट्रीय कृषि एवं मत्स्य अनुसंधान केंद्र, लखनऊ) ने नीति पक्ष को जानकारीपूर्ण व व्यावहारिक दृष्टि से प्रस्तुत किया।
प्रदेश के विभिन्न जिलों से सक्रिय प्रतिनिधियों में
राजू कश्यप (जिला अध्यक्ष, अमेठी),
गया प्रसाद धुरिया (जिला उपाध्यक्ष, बाराबंकी),
विश्वनाथ निषाद एवं
पूजा रैकवार की सहभागिता सम्मेलन को ग्रामीण धरातल से जोड़ने वाली रही।
सम्मेलन में आधुनिक मत्स्य पालन तकनीकों, सहकारी योजनाओं, प्रशिक्षण, उत्पाद विपणन और अनुदान की पारदर्शी व्यवस्थाओं पर गहन विचार-विमर्श हुआ। सफल सहकारी समितियों के अनुभवों ने सभी को प्रेरित किया और प्रतिभागियों ने जमीनी चुनौतियों पर खुलकर संवाद किया।
नीति-निर्माताओं को यह संदेश दिया गया कि यदि सहकारी समितियाँ ईमानदारी, पारदर्शिता और प्रशिक्षित नेतृत्व से सशक्त की जाएँ, तो वे गांवों की आत्मनिर्भरता की ठोस नींव बन सकती हैं।
यह आयोजन केवल एक विचार मंच न होकर सहकारिता के क्रियात्मक पुनर्जागरण का संकेतक बना। यहाँ योजनाओं की केवल घोषणा नहीं हुई, बल्कि उन्हें गांव-गांव तक पहुँचाने की रणनीति पर ठोस विमर्श हुआ।
सहकार भारती ने इस सम्मेलन के माध्यम से यह स्पष्ट किया कि जब संगठन, सरकार और समाज एक दिशा में एकत्रित होते हैं, तब विकास आंकड़ों का नहीं, संवेदना और संकल्प का परिणाम बनता है।


सम्मेलन का समापन इस सामूहिक संकल्प के साथ हुआ कि —
हर तालाब, हर जलाशय, हर ग्राम — अब केवल जल नहीं, संभावना का स्रोत होगा।
हर मत्स्यपालक — केवल लाभार्थी नहीं, ग्राम निर्माता और राष्ट्र भागीदार होगा।
यह आयोजन, अपने स्वरूप में, सहकारिता की संस्कृति, समाज की संवेदना और गांव की गरिमा का जीवंत दस्तावेज बन गया — जो आने वाले समय में सहकार भारती के ग्रामोन्मुखी दृष्टिकोण का आधार स्तंभ सिद्ध होगा।
कार्यक्रम की सफलता में प्रदेश मंत्री कैलाशनाथ निषाद ने प्रस्तावना एवं कार्य योजना मत्स्य प्रकोष्ठ की प्रस्तुत किया अभिनव कश्यप , निषाद का योगदान अत्यंत सराहनीय रहा, जिन्होंने समर्पण भाव से इस आयोजन को दिशा और गहराई प्रदान की।कार्यक्रम में समाज सेवी मनोज कुमार निषाद यूथ प्रदेश अध्यक्ष राष्ट्रीय निषाद संघ, मनोज कश्यप, दीपचंद कश्यप रामजी साहनी पत्रकार बीएल साहनी,ए के चौधरी पटना, सुभाष रैकवार मनोज कुमार मछुआरा आदि उपस्थित रहे
प्रस्तुति:
राकेश शुक्ला