
लेखक रामवृक्ष भूतपूर्व इंजीनियर उत्तर प्रदेश सरकार वाराणसी
वाराणसी। काशी के दुर्गा कुंड स्थित पूज्यपाद करपात्री जी महाराज के आश्रम में 24 अगस्त से 1 सितंबर तक भव्य शिवपुराण कथा का आयोजन किया गया। देशभर से आए शिष्यगण एवं श्रद्धालुओं ने कथा श्रवण कर धर्मलाभ प्राप्त किया। कथा समापन पर विशाल भंडारे का आयोजन हुआ, जिसमें हज़ारों भक्तों ने प्रसाद ग्रहण किया।
करपात्री जी महाराज अपने समय के सिद्ध संत एवं महान विद्वान थे। श्रद्धालुओं का मानना है कि उनकी वाणी में स्वयं सरस्वती का वास था। कथा के दौरान आश्रम के शिष्यों ने महाराज जी से जुड़ी कई प्रेरणादायक घटनाओं का भी उल्लेख किया।
उन्होंने बताया कि एक समय इंदिरा गांधी, जब वह प्रधानमंत्री नहीं बनी थीं, करपात्री जी महाराज से आशीर्वाद लेने पहुंचीं। महाराज जी के आशीर्वाद से ही वह देश की प्रधानमंत्री बनीं। किन्तु प्रधानमंत्री बनने के बाद जब महाराज जी ने उनसे गोहत्या बंद करने का अनुरोध किया तो उनकी बात को गंभीरता से नहीं लिया गया। इससे क्रोधित होकर करपात्री जी ने उन्हें श्राप दिया कि “एक दिन तुम्हें अपने ही अंगरक्षकों के हाथों मृत्यु का सामना करना पड़ेगा।”
श्रद्धालुओं का कहना है कि महाराज जी का श्राप अक्षरशः सत्य हुआ। वर्ष 1984 में गोपाष्टमी के दिन इंदिरा गांधी की हत्या उनके अंगरक्षकों द्वारा ही कर दी गई। यही नहीं, उनके पुत्र संजय गांधी एवं राजीव गांधी की भी असामयिक मृत्यु हुई। आश्रम के शिष्यों के अनुसार करपात्री जी ने इन घटनाओं का पूर्व में संकेत दिया था।
कथा और भंडारे में बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए और सेवा कार्यों में सक्रिय सहयोग दिया। उपस्थित भक्तों ने इसे जीवन का अविस्मरणीय आध्यात्मिक अनुभव बताया।

