
कश्यप सन्देश अजय बाथम ब्यूरो इटावा।
इटावा 9 नवम्बर 2025।
शहर के एक प्रतिष्ठित होटल में आज इफको (IFFCO) द्वारा नैनो उर्वरकों पर आधारित शीतगृह व्यवसायी विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य किसानों और व्यवसायियों को पारंपरिक डीएपी खाद के स्थान पर नैनो डीएपी लिक्विड उर्वरक के लाभों से अवगत कराना था।
गोष्ठी में कृषि वैज्ञानिकों व इफको के अधिकारियों ने बताया कि नैनो डीएपी के उपयोग से फसल की पैदावार बढ़ाने के साथ मिट्टी की उर्वरकता भी सुरक्षित रहती है। उन्होंने कहा कि यह तरल उर्वरक लागत कम करता है और खेती को अधिक टिकाऊ बनाता है।

वक्ताओं ने यह भी रेखांकित किया कि भारत अभी विदेशी डीएपी आयात पर निर्भर है, जिससे सरकार पर भारी आर्थिक बोझ पड़ता है। नैनो डीएपी का प्रयोग इस निर्भरता को घटाने में सहायक सिद्ध होगा। विशेषज्ञों ने किसानों से अपील की कि वे पारंपरिक रासायनिक खाद के अत्यधिक प्रयोग से बचें और आधुनिक वैज्ञानिक तकनीकों को अपनाएँ।

कार्यक्रम में पराली प्रबंधन और सुरक्षित कीटनाशक उपयोग पर भी चर्चा हुई। विशेषज्ञों ने बताया कि पराली जलाने से मिट्टी के पोषक तत्व नष्ट होते हैं, जबकि जैविक खाद के रूप में उसका उपयोग पर्यावरण हितैषी विकल्प है।
गोष्ठी में इफको के वरिष्ठ अधिकारी यतेंद्र कुमार, डॉ. प्रदीप कुमार, डॉ. प्रहलाद, राजेश अरोड़ा, विनोद यादव, राहुल यादव और सौरभ पांडेय मंचासीन रहे। उमाशंकर यादव सहित 20 से अधिक शीतगृह स्वामी व किसान उपस्थित रहे।
यह कार्यक्रम भारतीय कृषि को आत्मनिर्भर और पर्यावरण-संवेदनशील बनाने की दिशा में एक सार्थक कदम साबित हुआ।

