कानपुर देहात के ब्यूरो इंचार्ज जयवीर सिंह निषाद ने बताया कि निषाद समुदाय की एक महत्वपूर्ण आदिवासी परंपरा का आयोजन नारायणपुरवा, परौख गाँव में हुआ। इस परंपरा के अनुसार, हिंदू कैलेंडर के अनुसार कुंवार की रामनवमी से टेसू और झिंझिया दोनों मिट्टी के पुतले का खेल शुरू होता है। टेसू पुरुषों की टोली का नेतृत्व करते हैं, जबकि झिंझिया युवतियों की टोली का। दोनों टोलियाँ अपने-अपने समुदाय के घरों में जाकर लड़कियों के साथ मिलकर शरद पूर्णिमा को टेसू और झिंझिया के विवाह का निमंत्रण देती हैं।
इस परंपरा के माध्यम से नए युवक-युवतियाँ लोकगीतों का आनंद लेते हैं और इसका पूरा मनोरंजन करते हैं। यह आदिवासी परंपरा सदियों से चली आ रही है, और पूरा समुदाय इस खेल के माध्यम से अपनी संस्कृति को जीवित रखता है।टेसू, झिंझिया के खेल में यह ध्यान रखा जाता है कि विवाह से पहले टेसू और झिंझिया का मिलन न हो सके। यह परंपरा उच्च आदर्शों को स्थापित करती है और पुरानी परंपराओं को जीवित बनाए रखती है।
शरद पूर्णिमा की रात को इस अनोखे विवाह में श्री राम प्रसाद निषाद, शिवराम निषाद,जग्गू, छोटू, प्रमोद मदन, आंनद,रवीना, ज्योति, कमला, नीतू देवी, आरती देवी, ओमवती निषाद, केशी देवी, मीरा देवी, फूल श्री देवी, आरती देवी चंदावती, सिवकली देवी, शान्ती देवी आदि ने भाग लिया। इस अवसर पर धान से बनी हुई लाई का वितरण किया गया। इस कार्यक्रम के बाद ही समुदाय में वास्तविक विवाह का आयोजन शुरू हो जाता है।
इस प्रकार यह परंपरा न केवल समाज को सांस्कृतिक रूप से समृद्ध करती है, बल्कि युवाओं को अपने लोकगीतों और संस्कारों से भी जोड़ती है।