
पटना। बिहार निषाद संघ द्वारा पुनाईचक स्थित प्रदेश कार्यालय में भगवान श्रीराम के परम मित्र और ऋंगवेरपुर के महाराजा गुह्यराज निषाद की जयंती श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाई गई। कार्यक्रम की शुरुआत गुह्यराज निषाद के चित्र पर माल्यार्पण एवं नमन के साथ हुई।
इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए संघ के प्रदेश अध्यक्ष ई. हरेंद्र प्रसाद निषाद ने कहा कि जब भगवान श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण 14 वर्षों के वनवास पर निकले थे, तब उन्होंने अपनी पहली रात्रि ऋंगवेरपुर में निषादराज गुह्यराज के यहाँ बिताई थी। अगले दिन गुह्यराज ने अपने केवट से उन्हें गंगा पार करवाया था।
संघ के कार्यकारी प्रधान महासचिव धीरेन्द्र निषाद ने कहा कि समाज में बढ़ते जातीय वैमनस्य को श्रीराम-केवट संवाद से प्रेरणा लेकर समाप्त किया जा सकता है। महासचिव मनोज कुमार ने जानकारी दी कि प्रयागराज से 40 किलोमीटर दूर स्थित ऋंगवेरपुर को अब पर्यटन स्थल के रूप में विकसित कर दिया गया है, जहाँ गुह्यराज निषाद की 56 फीट ऊँची भव्य प्रतिमा स्थापित की गई है।
महासचिव सुरेश प्रसाद सहनी ने मुख्यमंत्री से मांग की कि निषादराज की जीवनी को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए और चैत शुक्ल पंचमी को सार्वजनिक अवकाश घोषित किया जाए।
बैठक में उपाध्यक्ष लाल बहादुर बिंद, महासचिव दिलीप कुमार निषाद, सुनील चौधरी, जयमंगल चौधरी, कैलाश सहनी, पप्पू सहनी, केदार सिंह, रघुवीर महतो सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे।