
कानपुर। अखिल भारतवर्षीय गोंड महासभा, उत्तर प्रदेश के तत्वाधान में श्री गया प्रसाद धुरिया द्वारा आज एक सामाजिक बैठक का आयोजन किया गया। बैठक का मुख्य उद्देश्य सामाजिक आरक्षण के अंतर्गत गोंड की पर्याय जातियाँ — धुरिया, गोड़िया, सुरहिया, कहार, बाथम, रैकवार, धीवर आदि को न्यायोचित आरक्षण का लाभ कैसे मिले — इस विषय पर गहन चर्चा करना था।
कार्यक्रम की अध्यक्षता लखनऊ से पधारे श्री सतीश कुमार कश्यप (धुरिया) ने की। उन्होंने बताया कि वर्तमान में प्रदेश के 17 जिलों में “धुरिया” जाति अनुसूचित जनजाति (एस.टी.) में सूचीबद्ध है, जबकि अन्य जिलों में इसे अनुसूचित जाति (एस.सी.) में रखा गया है। बावजूद इसके, जाति प्रमाण पत्र अधिकांशतः “कहार” नाम से जारी किए जा रहे हैं। इसी प्रकार, अन्य पर्याय जातियाँ — गोड़िया, सुरहिया, बाथम, रैकवार आदि — ओबीसी सूची में भी सही ढंग से अंकित नहीं हैं, जिसके चलते इनके प्रमाण पत्र भी “कहार” श्रेणी के बन रहे हैं।

सतीश कश्यप ने कहा कि इस विसंगति का मूल कारण सरकारी अभिलेखों में गलत प्रविष्टियाँ हैं। इस गंभीर समस्या पर ठोस कार्ययोजना बनाने के लिए दिनांक 16 नवम्बर 2025 को लखनऊ में प्रदेश स्तरीय संगोष्ठी आयोजित की जाएगी, जिसमें 22 जनपदों के सामाजिक संगठनों एवं बुद्धिजीवियों की सहभागिता रहेगी।
बैठक में बाराबंकी से पधारे श्री अंगद कश्यप, बाबूलाल कश्यप, संतोष कश्यप सहित राष्ट्रीय युवा पुरस्कार विजेता श्री रोहित कश्यप को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में के.पी. गौड़, आर.डी. प्रसाद, राजीव रतन कश्यप सहित अनेक समाजसेवी एवं पदाधिकारी उपस्थित रहे।

