कश्यप सन्देश

4 December 2024

ट्रेंडिंग

आदिवासी: सभ्यता के आदि निवासी :बाबू बलदेव सिंह गोंड की कलम से

एकादशी व्रत: भाग-5(अन्तिम): ए. के. चौधरी की कलम से

फिर शाम को सूर्यास्त के समय फिर आरती करें तथा धूप दिखाएं उसके बाद एक दीपक भगवान विष्णु के पास, एक अपने पितृ के पास तथा एक दीपक धूप तुलसी जी के पास अवश्य जलाना चाहिए शाम के समय तुलसी जी के पास दीपक जलाकर उनकी कम से कम सात बार परिक्रमा करना चाहिए तथा आपको अपनी समस्या भी मन में बोलते जाना है। यदि तुलसी जी की परिक्रमा ना कर पाएं तो तुलसी जी के सामने सात बार स्वयं घूम जाना चाहिए।
इसमें ध्यान देने वाली बात है की एकादशी व्रत द्वादशी युक्त हो वही व्रत करें। सामान्यतः यह व्रत मोक्ष प्राप्ति के लिए किया जाता है। जन्म मरण से छुटकारा पाकर बैकुंठ की प्राप्ति हो, इसके लिए किए जाते हैं इसमें पीला रंग भगवान श्री विष्णु जी को प्रिय है। इसलिए इस व्रत में पीला वस्त्र, पीले फूल, पीले फल आदि का इस्तेमाल किया जाता है तथा उस दिन गीता का पाठ अवश्य करना चाहिए। उसमें “ओम नमो भगवते वासुदेवाय” का जाप कम से कम 108 बार अवश्य करना चाहिए।
यदि इस व्रत में अधिक प्यास लगे तो पानी पी लेना चाहिए पूजा करने के बाद यदि भूखा न रह पाएं तो आप फल जो व्रत में चढ़ाते हैं उसे ही दिन में या शाम के बाद ग्रहण कर सकते हैं। तीसरे दिन पारण करना होता है जिसका समय निश्चित होता है। इसके लिए यूट्यूब पर पारण का समय बताते रहते हैं। उसमें कई लोगों को देखें और जो समय सब में सम्मिलित हो उसे चयन कर नोट कर लें फिर ठीक उसी समय पारण करें।
एकादशी का प्रमुख अंग है दान उसे अपनी क्षमता के अनुसार अवश्य करना चाहिए इसमें चावल, चना दाल, आलू ,नमक, हल्दी और कुछ दक्षिणा एक जगह रखें तथा दान का संकल्प कर किसी मंदिर में पुजारी को जाकर संभव हो तो उसी समय दान कर देना चाहिए यदि समय का अभाव है, तो बाद में देना चाहिए। लेकिन दान का संकल्प भगवान विष्णु के समक्ष इस प्रकार करना चाहिए।
अपना हाथ दान सामग्री पर सटाकर बोलना है की हे श्री हरि मैंने श्रद्धा और निष्ठा के साथ श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पुत्रदा एकादशी(जो भी एकादशी हो उसका नाम लेना है) का व्रत निर्जला रहकर पूर्ण किया है (यदि आपने पानी पी लिया है तो निर्जला शब्द छोड़ देना है) आज द्वादशी के दिन पारण करने जा रहा/रही हूं। पुत्रदा एकादशी व्रत में जाने अनजाने में मुझे कोई अगर गलती हो गई हो तो उसके लिए मुझे क्षमा कीजिएगा। आज मैं अपनी समर्थ के अनुसार कुछ ना कुछ दान अवश्य करूंगा/करूंगी, इस किए गए दान का मुझे और मेरे परिवार को पूर्ण फल और पुण्य प्राप्त हो ऐसा आशीर्वाद आप हमें दीजिएगा।
दान का संकल्प पारण से पहले लिया जाता है जब पारण का समय आता है तो इस प्रकार बोलना है। भगवान के सामने तुलसी का 3या5 पत्ते तथा एक गिलास जल लेकर बोलना है कि हे श्री हरि मैंने ंश्रद्धा और निष्ठा के साथ पुत्रदा एकादशी ( जो भी एकादशी हो उसका नाम) का व्रत पूर्ण किया है।
हे श्री हरि विष्णु मेरे सात जन्मों के शारीरिक, मानसिक, वाचिक जो भी पाप कर्म हैं वह आज और अभी से नष्ट हो जाए मेरी इस व्रत को मेरी इस पूजा को आप स्वीकार करें मेरी त्रुटि की ओर ध्यान न देते हुए मेरे इस जन्म में मुझे सुख समृद्धि और शांति और अंत में मुझे मोक्ष प्रदान करें और अपने चरणों में निवास स्थान अवश्य दें।
फिर तुलसी को मुंह में डालकर पानी के साथ निगल जाना है। इस प्रकार व्रत का समापन होता है। लेकिन उस दिन भी दूसरे के यहां नहीं खाना पीना चाहिए। यदि खाना हो तो स्वयं के पैसे देना चाहिए उपर में हमने श्रावण मास, शुक्ल पक्ष, पुत्रदा एकादशी का सभी जगह उल्लेख किया है क्योंकि आने वाली 16/8/24 को यह व्रत होगा। दूसरे एकादशी में उसी के अनुसार मास, पक्ष, नाम बदलकर बोलना है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top