कश्यप सन्देश

2 November 2024

ट्रेंडिंग

दीपावली के दिन दर्दनाक हादसा: कैमूर में गैस सिलेंडर लीक होने से सिंधु केवट की पत्नी किरन देवी और उनका पुत्र गोलू कुमार की मौत
कुछमुछ में शिक्षा जागरूकता कार्यक्रम: समाज की प्रगति के लिए एकजुटता का आह्वान
सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी का 22वां स्थापना दिवस कानपुर देहात में धूमधाम से मनाया गया
सिधौली में हुआ 40 फीट के रावण का भव्य दहन : संदीप कश्यप, ब्यूरो चीफ सीतापुर, कश्यप संदेश
मध्यप्रदेश में नई आबकारी नीति को मिली सहमति, महुआ की शराब को हेरिटेज(सांस्कृतिक धरोहर) का दर्जा
तुरैहा मछुआ समाज की बैठक, समाज को संगठित और सशक्त करने पर जोर

निषाद वंश का गौरव: केवट, कश्यप और सुदामा की कथा:ए. के. चौधरी की कलम से

निषाद वंश की महानता और गौरव धीरे-धीरे प्रकट हो रहे हैं। यह एक ऐसा रहस्य है जिसे कुछ गिने-चुने लोग ही जानते हैं। निषाद वंश का एक अद्भुत भक्त था, जो परमात्मा से अनन्य प्रेम करता था। यह भक्त सतयुग, त्रेता युग और द्वापर युग में भी प्रभु का अनन्य सेवक रहा। उसका नाम था केवट।

जब केवट का नाम लिया जाता है, तो उसका संपूर्ण चरित्र मानस पटल पर जीवंत हो उठता है। संत तुलसीदास जी महाराज ने अपने महाकाव्य ‘रामचरितमानस’ में केवट और भगवान श्रीराम के संवाद का विस्तार से वर्णन किया है। यह संवाद ‘श्री राम-केवट संवाद’ के नाम से प्रसिद्ध है, और इसे किसी विशेष परिचय की आवश्यकता नहीं है। सतयुग में केवट का वर्णन संक्षेप में मिलता है, पर द्वापर युग में क्या हुआ, इसका विस्तृत वर्णन कहीं नहीं मिलता। हालांकि, एक चौपाई द्वारा इसका संकेत दिया गया है, परंतु उसका पूर्ण विवरण नहीं है।

केवट ने भगवान श्रीराम से कहा था, “हे प्रभु, जब आप अगले अवतार में अवतरित हों, तो जो भी आप बिना मांगे मुझे देंगे, मैं उसे आपका प्रसाद मानकर शिरोधार्य करूंगा।” सतयुग में यह केवट कश्यप था, त्रेता युग में केवट बना, और द्वापर युग में कृष्ण अवतार के समय यही केवट सुदामा के रूप में प्रभु से मिला।

कथा वाचक श्री महेश जी जोशी महाराज जी इस कथा का प्रमाणसहित उल्लेख करते हैं, और इसके माध्यम से निषाद वंश के इस भक्त की महानता का गुणगान करते हैं।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top