कश्यप सन्देश

15 October 2025

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निषादों के वंशज राजा उत्तानपाद का पुत्र महान हरि भक्त ध्रुव: ए. के. चौधरी की कलम से

निषादों के वंशज राजा उत्तानपाद का पुत्र महान हरि भक्त ध्रुव: ए. के. चौधरी की कलम से

निषाद वंश के राजा उत्तानपाद, श्री स्वयंभू मनु और माता शतरूपा के पुत्र थे। अयोध्या नगरी के राजा उत्तानपाद की दो पत्नियां थीं—सुनीति और सुरुचि। सुनीति का पुत्र ध्रुव और सुरुचि का पुत्र उत्तम था। एक दिन ध्रुव खेलते-खेलते अपने पिता की गोद में बैठ गया। तभी उसकी सौतेली मां, रानी सुरुचि ने उसे गोद […]

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माननीय शोभाराम कश्यप: बुन्देलखण्ड के पर्यावरण योद्धा और समाज सेवी: संतोष रायकवार की क़लम से

माननीय शोभाराम कश्यप: बुन्देलखण्ड के पर्यावरण योद्धा और समाज सेवी: संतोष रायकवार की क़लम से

माननीय शोभाराम कश्यप, बांदा जिले के एक प्रतिष्ठित समाजसेवी और पर्यावरणविद् हैं। उनका जीवन समाज और पर्यावरण की सेवा में समर्पित है। वे राष्ट्रीय तिरंगा वितरण समिति, पक्षी बचाव अभियान, और राष्ट्रीय वृक्षारोपण कार्यक्रम के संयोजक हैं। उन्होंने न केवल बांदा में, बल्कि पूरे बुन्देलखण्ड में समाज की स्थिति को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण योगदान

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महान विभूति: महराज शिवपाल निषाद नाहर का अवसान

महान विभूति: महराज शिवपाल निषाद नाहर का अवसान

7 सितंबर 2024 को, समाज ने एक महान विभूति को खो दिया। महराज शिवपाल निषाद नाहर, जो निषाद संस्कृति को बढ़ाने और समृद्ध करने में जीवन भर समर्पित रहे, मुख के कैंसर से लंबी लड़ाई के बाद स्वर्ग सिधार गए। उनके निधन से पूरे समाज में शोक की लहर दौड़ गई है, क्योंकि उन्होंने जीवनभर

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आगरा में एटौरा देवी मेले का आयोजन 11 और 12 सितंबर को, निषाद कश्यप समाज के लिए गौरवशाली परंपरा

आगरा में ईटौरा देवी मेले का आयोजन 11 और 12 सितंबर को, निषाद कश्यप समाज के लिए गौरवशाली परंपरा

आगरा की पवित्र धरती पर निषाद कश्यप समाज का सदियों पुराना ईटौरा देवी का मेला 11 और 12 सितंबर को आयोजित होगा। यह मेला हिंदू नववर्ष के कैलेंडर के अनुसार चैत्र और भादो की सप्तमी, अष्टमी और नवमी को लगता है। इस मेले में समाज के लोग अपने विवाह योग्य बच्चों के रिश्ते तय करते

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मल्लाह जाति: अपराधी जनजातियों का कलंक और पहचान की तलाश: मनोज कुमार मछवारा की कलम से

मल्लाह जाति: अपराधी जनजातियों का कलंक और पहचान की तलाश: मनोज कुमार मछवारा की कलम से

मल्लाह जाति का इतिहास एक संघर्ष और अस्तित्व की कहानी है। प्रोफेसर हेनरी श्वार्ज़ के अनुसार, भारतीय समाज में यह धारणा गहराई से जमी हुई थी कि अपराध वंशानुगत होता है, और इस आधार पर मल्लाह जैसी जातियों को अपराधी मानकर उनके पूरे समुदाय को दोषी ठहराया जाता था। 1772 में वॉरेन हेस्टिंग्स के कार्यकाल

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समतामूलक और भ्रष्टाचार मुक्त राष्ट्र की परिकल्पना: सर्वेश कुमार "फिशर" की कलम से

समतामूलक और भ्रष्टाचार मुक्त राष्ट्र की परिकल्पना: सर्वेश कुमार “फिशर” की कलम से

हम कर्मकार समाज के लोग इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि हमारे जीवन की तमाम तकलीफें न तो किस्मत की देन हैं, न ही भगवान की। हमारे दुःख का असली कारण है- वर्तमान में जन्म के आधार पर होने वाला आर्थिक भेदभाव, जो हमारे कानूनों में गहराई से जड़ जमाए हुए है। हमारे कानून में

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राजनीति का परिदृश्य: राम सिंह "राम" कश्यप की कलम से

राजनीति का परिदृश्य: राम सिंह “राम” कश्यप की कलम से

राजनीति में राज बहुत है गहरे, लेकिन नीति नहीं होती,गठबंधन सत्ता से हो, तो सत्य से प्रीति नहीं होती। नारे दिन-रात देते रहते, रामराज हम लाएंगे,कब तक और कैसे आएगा, राज नहीं बताएंगे। जो संदेह से स्वयं ग्रसित हो, स्थिर नीति नहीं होती,नेता गण भोली जनता को, सब्ज़ बाग दिखलाते रहते। पंचशील के प्रबल पुजारी,

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निषाद कुमार: विजय की एक नई गाथा: मुकेश कश्यप की कलम से 

निषाद कुमार: विजय की एक नई गाथा: मुकेश कश्यप की कलम से 

उड़ान थी आसमान की, पर पंख नहीं थे साथ,फिर भी बढ़ा वो निडर, नहीं मानी कभी मात।सपनों को जो बुनते हैं, उनका हौसला होता अडिग,निषाद कुमार ने दिखाया, कैसे होता है दिल से बड़ा जग। हर कदम पे कांटे थे, पर राहों से नहीं डिगा,चुनौतियों को मात दी, और ऊँचाइयों तक जा टिका।पैरालिंपिक्स की पवित्र

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प्राचीन समय की सर्जरी या चमत्कार: द्रोणाचार्य और निषादराज के प्रसंग पर चिंतन : बृज मोहन स्वामी का कलम से

प्राचीन समय की सर्जरी या चमत्कार: द्रोणाचार्य और निषादराज के प्रसंग पर चिंतन : बृज मोहन स्वामी की कलम से

प्राचीन कथाओं में गणेश के सिर के कट जाने के बाद हाथी का सिर उनके धड़ पर जोड़ दिया गया था। इस घटना को प्राचीन काल की सर्जरी कहा जाए या फिर एक चमत्कार, यह विचारणीय है। तर्कशील विद्वानों के लिए इस पर चिंतन की आवश्यकता है। दूसरी तरफ, महाभारत के प्रसंग में, जब एकलव्य

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सर्वेश कुमार फिशर की कलम से

मछुवारों के लिए आरक्षण में भी आरक्षण: सर्वेश कुमार फिशर की कलम से

मछुवारा समुदाय, जो परंपरागत रूप से नदियों, झीलों और तालाबों के किनारे बसते हैं, हमेशा से ही आर्थिक और सामाजिक दृष्टि से उपेक्षित रहा है। इनके जीवन का मुख्य आधार मछली पकड़ना और तराई क्षेत्र की खेती है, जो असुरक्षित और अस्थाई आय के साधन हैं। ऐसे में, इनके आर्थिक और सामाजिक जीवन को स्थिरता

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